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मिडिल क्लास में दो पहिया गाड़ी मतलब छोटा हाथी


मिडिल क्लास लोगों की लाइफ में टू व्हीलर का बड़ा इंपॉर्टेंस होता है। दो पहिओं की मदद से मानों अगर मंगल ग्रह पर जाने की जरूरत हो तो भी एक बार को मन ही मन कोशिश कर लेंगे। कुछ दिलचस्प दिलेर ऐसे होंगे कि लगे हाथ मन ही मन गाड़ी का माइलेज सोच कर पेट्रोल का खर्च भी जोड़ने में जुट जाएंगे। मिडिल क्लास इंडियंस के लिए दो पहिए की गाड़ी मतलब उनका सबसे बड़ा कामकाजी सहायक।


खूबी देखिए कि कई बार ये ऐसे घरों में रहते हैं जहां दो पहिया खड़ा करने की गुंजाइश न हो लेकिन भाई साहब एडजस्टमेंट भी कोई चीज होती है। सीढ़ी के नीचे लगे बिजली के मीटर के डब्बे को जरा इधर उधर किया, कोने में थूके पान, गुटखे को साफ करवाया और किसी तरह घुस-घुसा के गाड़ी खड़ी करने का जुगाड़ कर ही लेते हैं।
अच्छा, एक बात और, दो पहिया न हुआ पूरी बैलगाड़ी हो गई। पति, पत्नी, दो बच्चे और उसके बाद खरीददारी का सारा सामान भी। वो तो भला हो नए जमाने के स्कूटर वालों का जो उन्होंने गियर खत्म कर दिए और डिक्की बड़ी कर दी। वरना पुराने वाले प्रिया, चेतक, लंब्रेटा की डिक्की में तो बस कहने भर का ही सामान आता था।

तो भइया ये है कहानी मिडिल क्लास फटफटिया की। अभी कई और किस्से हैं, कहा जाएगा, सुना जाएगा।
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