मिडिल क्लास फैमिलीज में अगर पति का वेट बढ़ रहा हो और बिना कुछ पैसा खर्च किए वेट कम करना हो तो पत्नी और बच्चों को कुछ दिनों के लिए माएके भेजा जा सकता है। कम से कम मेरा अपना अनुभव तो यही कहता है। अब मैं ऐसा भी नहीं कह सकता कि सभी मिडिल क्लास फैमलीज में ऐसा ही होता होगा लेकिन अधिकतर में तो होता ही होगा।
और फिर जिन्हें अपनी पत्नी के हाथों का खाना पसंद होगा उनके साथ तो पक्का होता ही होगा। (ये लाइन इस लिए लिख दी ताकि कोई बचकर निकलना भी चाहे तो न निकल पाए)। फिर अगर आपकी पत्नी और बच्चे दस पंद्रह दिनों के टूर पर निकल गए तो समझिए कि एक दो किलो तक का वेट तो कम होना ही होना है। अब इसकी वजह भी समझिए। दरअसल अधिकतर शादीशुदा मर्द पत्नी और बच्चों के न होने पर सुबह देर से सोकर उठते हैं। भले ही ऑफिस जाना हो लेकिन जब तक आखिरी डेडलाइन भी नहीं निकल जाती तब तक उठना गंवारा नहीं होता। अब उठने के बाद काम करने हैं सारे फटाफट। अब ऐसे में वक्त कहां होता है कि सुबह का नाश्ता किया जाए या फिर लंच पैक किया जाए। और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर आपने खाना बनाने वाली भी रख ली न तो उसका बनाया खाने का वक्त भी नहीं होता। फिर नाश्ता छोड़ने का मतलब है कि वेट कम करने की ओर बढ़ना।
फिर बीवी हो तो नाश्ता तो करना ही पड़ता है क्योंकि अगर छोड़ा तो क्या पता शाम को या तो सुबह वाला नाश्ता ही गुस्से के साथ परोसा जाए या फिर शाम को चाय पर नाश्ता बर्बाद करने की तोहमत खरी खोटी के साथ थोप दी जाए। तो ऐसे में तो चाहें देर हो रही हो नाश्ता तो करना ही होगा। लेकिन अगर खाना बनाने वाली ने बनाया है तो फिर तो चलता है।
फिर जिनके घर में खाना बनाने वाली नहीं आती तो वो महाशय लोग तो सुबह देर से उठने के बाद नाश्ता बनाने की जहमत उठाएंगे ये कहना जरा मुश्किल है। फिर बहुत भूख लगी तो रेडिमेड या पैक्ड फूड का ही इस्तमाल हो जाता है।
फिर दोपहर का लंच जब घर से किसी ने सलीके से पैक करके न दिया हो न तो फिर भूख भी मरी मरी ही रहती है। कभी ठेले पर राजमा चावल खा लिया तो कभी समोसा चाय ही काफी हो जाता है। फिर इनसे न तो पेट भरता है और न दिल। हां, तसल्ली की जा सकती है कि कुछ खाया है।
और फिर हुजूर शाम....शाम तो शाम होती है। पूरा दिन बिताने के बाद शाम को न खाना बनाने का मन करता है और न खाने का। तो ऐसे में कोई शख्स उठेगा, सब्जी छीलेगा, आटा गूंथेगा, रोटियां सेंकेगा, सब्जी बनाएगा...कहां हो पाएगा साहब इतना। तो होगा क्या? होगा ये कि कहीं मैगी का पैकट होगा तो कहीं दूध का, कहीं कुछ बटर टोस्ट होगा तो कहीं काफी होगी। हो गया इतने में डिनर।
तो अगर यही डाइट प्लान एक्टिव रहा एक महीने तक तो समझिए कि वेट लॉस तो तय है। फिर पत्नी के जाते समय एक फोटो खींच लीजिएगा अपनी टमी के साथ। जब बीवी वापस लौटेगी तो फिर खिंचवाइएगा उसी पोज में। फिर आप भी कह सकेंगे, मैं पहले 75 किलो का था, पर एक महीने की दवा लेने के बाद ही मेरा वजन दो किलो कम हो गया।
तो भइया, कहानी ये है कि अगर सेहत से है प्यार तो करते रहिए बीवी से प्यार।
कैसा लगा हमें कमेंट बाक्स में जरूर बताइए।
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